याद !

देखनी तब से मन भइल पागल
आपन बनावे के आश लागल
केनहु जाई छोडे ना साथ
दिल मे आवे खाली तोहरे याद ॥
जब सुते गइनी हम राती
आइल ई दिलमे जोड से आँधी
सरसो के फूल दन से फुलावो
फागुन मे हमरो मन रंगावो ॥
सजव ले बानी रंगीन दरवाजा
इन्तजार तोहर बा अब तु आजा
चाहत के लोर से भिजल सिरानी
तडपाव मत अब तु आव रानी ॥
याद से नली फुट के बहे खुन
स्वागत मे बजता कोयल धुन
अजोर करे अब तु आव
याद के तारा धर्ती पर सजाव ॥
– गोपाल कुमार यादव,
एम.बि.बि.एस, बि.पी.के.आइ.एच.स धरान