बेकारी के गीत

बेकारी के गीत
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ठुनुक मत रे बाबुआ तू
भूख लाग जाई.
घर में ना अबहीं बा
आटा भा चाउर.
आईल बा रे बाबू
दिनवे ई बाउर.
कतहीं से होत कहां
कवनो कमाई
ठुनुक मत रे बाबू तू
भूख लाग जाई…
धंधा पर लागल बा
सरकारी ताला
देश में करोड़न के
पेट पड़ल पाला.
तानत बा रहि-रहि के
नस-नस में बाई.
ठुनुक मत रे..
हंड़िया पतुकी सगरी
हो गईली खाली
डेहरी में लागल बा
मकड़ी के जाली.
देखि देखि फूटत बा
भरदिन रोआई.
ठुनुक मत रे…
कतहीं से करजो के
नईखे अब आसा
सावो महाजन के
बदलल बा भासा
सूझत ना कहंवां से
खरची जुटाईं
ठुनुक मत रे बाबू तू
भूख लाग जाई..
पेट में लहास बा त
पीअ नून पानी
दूनू मिलके तनिका
भुखवो के टानी
भुखिया आ दुखिया के
दरदे दवाई
ठुनुक मत रे बबुआ तू
भूख लाग जाई..
– हरिन्द्र हिमकर

